Sirmour me ghume ki jagah
Sirmour me ghume ka jagah: वैसे सिरमौर में घूमने के लिए काफी प्रसिद्ध जगह है और वही इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं कि आप सिरमौर जिले के अंदर कौन से सुंदर जगह पर जा सकते हैं Sirmour me ghume ka jagah और अगर आप नहीं भी जाना चाहते हैं तो आपको इस जगह के बारे में जानकर काफी खुशी महसूस होगा तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ कर ही जाए।
Sirmour me ghume ka jagah सबसे पहले हम आपको नीचे सिरमौर के अंदर प्रसिद्ध जगह बताने वाला हूं जिसके बाद आप सभी को उसी पॉइंट का सभी जानकारी स्टेप बाय स्टेप देने वाला हूं Sirmour me ghume ka jagah ताकि आपको पूरी जानकारी यहां पर मिल सके जिसके बाद आप घूमने का प्लान या फिर फैमिली के साथ इस जगह पर जाने का प्लान बना सकते हैं।
हरिपुरधार में स्थित भंगायनी माता के मंदिर, सिरमौर के प्रसिद्ध जगह
Sirmour me ghume ka jagah कहा जाता है कि जब शिरगुल देवता हाट लेकर दिल्ली गए थे तो वहां के मुगल बादशाह ने उनकी आलोकीक शक्तियां पाने के लिए किसी तरह उन्हें बंदी बना लिया था तब भंगायनी माता ने जो कि वहां सफाई का कार्य करती थी राजस्थान के बागड़ देश के राजा गोगा चौहान जिन्हें कि Sirmour me ghume ka jagah अब गोगा पीर के नाम से पूजा जाता है की मदद से शुरू कुलदेवता को रिहा करवाया था उस दिन के बाद से शिरगुल देवता ने भंगायनी माता को अपने धर्म की बहन स्वीकार किया था और अपने साथ सिरमौर ले आए थे Sirmour me ghume ka jagah भंगायनी माता को उन्होंने हरिपुरधार में बसा लिया था और चूरदार चले गए थे।
मंदिर की सीढ़ियां जो गिनती में 148 के करीब है। Sirmour me ghume ka jagah
यह है मंदिर का मुख्य द्वार जो पहाड़ी शैली में बनाया गया मुख्य द्वार से मंदिर की सीढ़ी की बीच की दूरी लगभग 200 मीटर है इसके दोनों तरफ प्रसाद की कई सारी दुकाने रेस्टोरेंट और होटल से मिल जाएंगे यह है मंदिर की सीढ़ियां जो गिनती में 148 के करीब है।
नवनिर्मित मंदिर अब कुछ ऐसा दिखायि देता है।
अब इसका नवनिर्माण पौराणिक शैली में किया गया है जो कि अपने आप में ही कला का एक बेहतरीन शोरूम है नवनिर्मित मंदिर अब कुछ ऐसा दिखायि देता है यह मंदिर हिमाचल के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है यहां पर कि यह नकाशी मानव द्वारा निर्मित अद्भुत कलाकारी का जागता उदाहरण है।
मंदिर की दीवार पर उभरे हुए चित्र और ईश्वर प्रतिमाएं मंदिर की शोभा को चार चांद लगाती है मंदिर के चारों दिशाओं में खड़े लकड़ी के स्तंभ और उस पर की गई नकाशी और लकड़ी की सुंदर मंदिर के प्रांगण में पीछे की तरफ और सुंदर रचनाएं धार्मिक कर्मकांड और हवन इत्यादि के लिए बनाया गया एक और शायद मंदिर को किसी भी दिशा से देखने पर एक समान दिखाई देता है।
मंदिर के प्रांगण से दिखाई देने वाला चारों दिशाओं में प्रकृति का नजारा किसी जन्नत से कम दोस्तों अब मैं आप लोगों के साथ कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करता हूं मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए लगभग 70 कमरे हैं जिनमें से 30 कमरे सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए परिसर में दर्जनभर सीसीटीवी कैमरा भी लगाए गए हैं।
मुख्य मार्ग से यदि मंदिर की तरफ मुंह करके खड़े हो जाएं तो बाएं तरफ जिला शिमला और दाहिनी तरफ जिला सिरमौर आता है मंदिर भी जिला सिरमौर के अंतर्गत ही आता है अगर दूरियों की बात करें तो हरिपुरधार शिमला से 150 किलोमीटर सोलन से 100 किलोमीटर नहान से 90 किलोमीटर रेणुका से 52 किलोमीटर के रास्ते से आप देश के तमाम हिस्सों से यहां पर आ सकते हैं और अपनी मनोकामना पूरा कर सकते हैं।
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