New Update

Purnea me ghumne ka jagah पूर्णिया में घूमने की जगह

Purnea me ghumne ka jagah । Place to visit in purnea district


पूर्णिया में घूमने के कई जगह है परंतु मैं आपको यह जगहों के बारे में बताऊंगा जहां पर आप घूम सकते हैं|

1. काली बारी मंदिर
2. मातास्थान
3. कामाख्या मंदिर
4. माता पुराण देवी 

1. काली बारी मंदिर पूर्णिया

पूर्णिया का यह काली मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है यह मंदिर पूर्णिया जिला के सोरसा नदी के तट पर स्थित है जिसके वजह से यह मंदिर का नजारा मैं चार चांद लगता है और काफी सुंदर और मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है यहां पर काली पूजा के समय में पूर्णिया जिला के चारों क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती है|

यह मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना होने की वजह से यहां के लोगों का मानना है कि यह मंदिर में माता काली का स्वयं निवास है और इस मंदिर के परिसर में एक शिवलिंग भी स्थित है जिसे भोलेनाथ का मंदिर भी कहा जाता है कहा जाता है कि अगर क्षेत्र के लोग में से कोई भी अगर शुभ कार्य करते हैं तो सबसे पहले वह व्यक्ति माता काली के इस मंदिर में आते हैं और माता का असीम अनुकंपा और आशीर्वाद लेकर के शुभ कार्य करते हैं|

पूर्णिया के काली मंदिर इतना विख्यात होने की वजह से यहां पर काली पूजा के समय में बंगाल से कारीगरों को मनाया जाता है जिसके बाद यहां पर माता काली का सजावट और मंदिर में धूमधाम से पूजा अर्चना भी किया जाता है इतना ही नहीं काली पूजा के समय में और अन्य समय में भी यह मंदिर में पूर्णिया के चारों क्षेत्र जैसे अररिया पूर्णिया कटिहार बंगाल कोलकाता जैसे क्षेत्रों से लोग इस मंदिर में माता का वरदान लेने के लिए आते हैं|

2. कामाख्या मंदिर पूर्णिया

मुगल काल में ही निर्मित हुआ था पूर्णिया के कामाख्या मंदिर जिसके बाद से यहां पर कामाख्या माता के कृपा से कुष्ठ रोगियों का इलाज भी होता है माना जाता है कि जिस किसी व्यक्ति को भी अगर कुष्ठ रोग होता है तो उस व्यक्ति को यह मंदिर में लाया जाए तो माता कामाख्या उस व्यक्ति के शरीर से उस रोग को दूर कर देती है ऐसा लोगों का माना जाता है|

कामाख्या मंदिर पूर्णिया का इतिहास

मुगल काल से ही यह बात माना जाता है कि असम के कामरु कामाख्या मंदिर से पूर्णिया में भी माता कामाख्या का आना हुआ था ऐसे लोगों का मानना है कि मुगल काल में ही असम के कामाख्या मंदिर से ही माता कामाख्या पूर्णिया आई थी जिसके बाद से मुगल काल में यहां पर माता का मंदिर का निर्माण कराया गया था|

3. मातास्थान मंदिर पूर्णिया

पूर्णिया जिला के आदमपुर में स्थित है माता का स्थान यहां पर आपरूपी माता का मंदिर है यह मंदिर का इतिहास ढाई सौ साल पुराना होने की वजह से मंदिर काफी विख्यात है यह मंदिर का निर्माण कार्य की बात किया जाए तो लगभग ढाई सौ साल पुराने की बात है 

जब कोसी नदी में एक व्यक्ति मछली मारने के लिए जाल फेंका करते थे तो हर बार उस व्यक्ति के जाल में एक पत्थर फस गया था जब पानी में डूब कर जाल को निकाला गया तो पत्थर मिला वह पत्थर माता की प्रतिमा थी जिसके बाद से वह व्यक्ति ने उस मूर्ति को वहीं पर छोड़ दिया था परंतु उसी व्यक्ति को 1 दिन पश्चात स्वप्न में माता दुर्गा आई और बताई कि तुम इस मूर्ति की स्थापना करो तुम्हारी पूजा हमें स्वीकार है| 

परंतु जब यह बात स्थानीय लोगों को पता चला तो वहां पर पंडित के द्वारा पूजा अर्चना किया जाने लगा परंतु कहा जाता है कि माता ने स्वयं फिर उस पंडित को स्वप्न में आया और कहा कि तुम अगर मेरी पूजा अर्चना करोगे तो तुम्हारा वनस नष्ट हो जाएगा|

जिसके बाद से पंडित ने पूजा-अर्चना करना छोड़ दिया फिर से उसी व्यक्ति के पूर्वजों के द्वारा मंदिर की पूजा अर्चना कर रहे हैं जिस व्यक्ति ने कोसी नदी में मछली मारने के क्रम में जाल में माता की मूर्ति आई थी तब से अब तक माता स्थान में उसी व्यक्ति के पूर्वज आज भी पूजा अर्चना कर रहे हैं|

4. माता पूरण देवी 

माता पूरण देवी : पूर्णिया जिला के सबसे बड़े आकर्षणों का केंद्र बना हुआ है यहां पर माता काली जी पूरण देवी माता के रूप में विराजमान हैं और यहां पर सभा दिनों में माता काली जी का पूजा करने आतें है कहा जाता है कि यहां पे सच्चे मन से कोई अगर कुछ मांगते हैं तो जरूर पूरा होता है।

टिप्पणियाँ