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Podiwala shiv mandir |
रावण ने बनाया था स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी जिसे आज "पौड़ी वाला शिव मंदिर" Podiwala shivmandir nahan के नाम से जाना जाता है.
हिमाचल मैं पहाड़ के तराई क्षेत्र होने के कारण यहां पर और भी सुंदर जगह देखने को मिलते हैं और यहां पर रावण ने स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी बनाई थी जो पौड़ी वाला शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. और यहां पर शिव जी के भक्त प्रतिदिन आते हैं. खासकर के शिवरात्रि के समय में यहां पर लाखों भक्तों की भीड़ लगी रहती है.
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Podiwala shiv mandir sirmor |
पौड़ी वाला शिव मंदिर की रहस्य- रावण के द्वारा सिरमौर जिला और नहान से सेनवाला के बीच में रावण पौड़ी वाला शिव मंदिर मैं पूजा करते थे. पौड़ी वाला शिव मंदिर काफी अध्यात्मिक हैं.
शिवजी ने उसे कहा था कि अगर तुम एक दिन में 5 स्वर्ग की सीढ़ी बना लेते हो तो तुम अमर हो जाओगे तब जाकर रावण ने नहान और San wala के बीच पहाड़ों से घिरे हुए जंगलों में रावण ने स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी बनाया था.
पौड़ी वाला शिव मंदिर पहाड़ों के बीच में है और मंदिर के चारों तरफ ऊंचे ऊंचे पहाड़ और मंदिर के समीप एक छोटी सी नदी बहती है. शिव मंदिर के चारों तरफ भांग धतूरे लगे हुए हैं क्योंकि शिव जी को भांग धतूरे पसंद है.
रावण तपस्या के दौरान शिवजी को प्रसन्न कर लिया था तत्पश्चात रावण ने शिव जी से वरदान मांगा था कि मुझे ऐसी वरदान दो कि मैं अमर हो जाऊं तब जाकर शिव जी ने रावण को कहा कि अगर तुम एक दिन में 5 पौड़ी सीडी बना पाते हो तो तुम अमर हो जाओगे.
रावण ने स्वर्ग की पहला पौड़ी हरिद्वार में बनाया था और दूसरा स्वर्ग की सीढ़ी हिमाचल के सिरमौर जिला में और तीसरी चूड़ेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश पर्वत पर बनाया था.
रावण पांचवा स्वर्ग की सीढ़ी नहीं बना पाया था क्योंकि उसका आंख लग गई जिसके बाद से रावण ने पांचवा स्वर्ग की सीढ़ी नहीं बना पाई तत्पश्चात रावण का तपस्या भंग हो गया था.
पौड़ी वाला शिव मंदिर नहान- पौड़ी शिव मंदिर नहान से लगभग 7 किलोमीटर की दूर और सनवाला के बीच में स्थित है. यह मंदिर पहाड़ों के चोटी के बीच में बसा हुआ है. और यहां पर मंदिर के चारों तरफ भांग धतुरे देखने को मिलता है.
कहा जाता है कि पौड़ी वाला शिव मंदिर में भक्तों की मुरादें पूरी होती है. और यहां पर साक्षात शिव जी विराजमान है. इस मंदिर की रहस्य है. कि यहां पर हर वर्ष शिव लिंग की आकार बड़ी होती है. और बताया जाता है. कि हर वर्ष चावल के दाने के आकार में थोड़ी से हर वर्ष शिवलिंग की आकार में परिवर्तन होती है.और इस मंदिर के पुजारी महंत ईश्वर गिरि महाराज जी हैं.
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